पड़ोसी देश म्यांमार में सोमवार को तख्तापलट हो गया। सेना ने देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट समेत कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया है। साथ ही देश में एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी है। म्यांमार सैन्य टेलीविजन के मुताबिक, सेना ने एक साल के लिए देश पर नियंत्रण कर लिया है। सेना के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के पास सत्ता रहेगी। सेना का भी कहना है कि चुनाव में हुई धोखाधड़ी के जवाब में यह कदम उठाया गया है। तख्तापलट के साथ ही मुख्य शहर यांगून में सिटी हॉल के बाहर व देश के विभिन्न हिस्सो में सेना तैनात कर दी गई है।
बता दें कि म्यांमार में लंबे समय तक सैन्य शासन रहा है। वर्ष 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में सैन्य तानाशाही रही है। वर्ष 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में ‘नागरिक सरकार’ बनी। बाजवूद इसके अप्रत्यक्ष रूप से ताकत सेना के पास ही रही।
भारत समेत कई देशों ने जताई चिंता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा,” म्यांमार के घटनाक्रम से बेहद चिंतित हैं। भारत हमेशा से म्यांमार में लोकतंत्र प्रक्रिया के समर्थन में रहा है। देश में काननू और लोकतंत्र प्रक्रिया को बरकरार रखा जाए। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने तख्तापलट पर चिंता जताई है। साथ ही म्यांमार की सेना से कानून का सम्मान करने की अपील की है। व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने इस कार्रवाई को देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खत्म करने का कदम उठाया है। अमेरिका ने म्यांमार सेना को चेतावनी दी है कि अगर ये तख्तापलट खत्म नहीं हुआ, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।