मेरठ। अधिवक्ता ओंकार तोमर खुदकुशी प्रकरण में पुलिस ने वेट एंड वाच की नीति अपना ली है। कुछ इस तरह भी कि आंदोलन की अवधि जितनी लंबी होगी उतना ही गहराया विवाद हलका पड़ जायेगा। ऐसा न हो इसके लिये आज मेरठ के अधिवक्ताओं ने पहले सभा की, फिर जुलूस निकाला, आज वकीलों का सबर टूटा तो वकीलों ने पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए बेगमपुर चौराहे पर गहरा बना कर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया और पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने की मांग की अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा कर दी जाए जिससे भविष्य में ऐसी दुखद घटना ना हो और फिर वापसी कर ली। पुलिस की तैयारी जिस तरह की नजर आई उसे देखते हुए लग रहा था कि संभवत- जाम होने पर पुलिस सख्ती बरते लेकिन न ही तो अधिवक्ताओं ने पुलिस को मौका दिया और न ही अधिवक्ताओं ने ही ऐसा किया जिससे पुलिस हरकत में आती। बहरहाल, अधिवक्ताओं का आंदोलन जारी है।
आपको याद दिला दें कि बीते 13 फरवरी को मेरठ के वरिष्ठ अधिवक्ता ओंकार तोमर ने आत्महत्या कर ली थी। अपने सुसाइड नोट में ओंकार तोमर ने आत्महत्या के लिये भाजपा विधायक दिनेश खटीक व अन्य को जिम्मेदार ठहराया है। भारी दबाव के बाद पुलिस ने विधायक समेत चौदह लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। अब 11 लोगों के खिलाफ पुलिस ने कार्यवाही को आगे बढ़ाया है। रिपोर्ट में योगेंद्र व जोगेंद्र को भी नामजद किया गया था जबकि यह एक ही व्यक्ति है। एक आरोपी संजय मोतला पुलिस दबिश से परेशान होकर खुदकुशी कर चुका है। वहीं भाजपा विधायक के बारे में पुलिस का कहना है कि उनके खिलाफ फिलहाल सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि यह सारी ही कार्यवाही सुसाइड नोट के आधार पर की जा रही है और सुसाइड नोट में भाजपा विधायक दिनेश खटीक को भी अधिवक्ता ओंकार तोमर ने आत्महत्या के लिये जिम्मेदार बताया है। इसके बाद नामजद आरोपी संजय मोतला के खुदकुशी कर लेने के बाद पुलिस की कार्यवाही लगभग रूक सी गई। हां, नामजद आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप में दो लोग जरूर जेल भेज दिये गये।