-जनवरी 2010 के बाद से अब तक की सबसे ऊंची कीमत
-खाद्य तेलों के दाम में भी लगातार हो रहा इजाफा
-2010 से अब तक लगभग दो गुना हुए रेट
-मंहगाई की मार पड़ रही है चारों तरफ
-किसी के लिये आपदा बनी अवसर, तो किसी के लिये परेशानी
नई दिल्ली। कोरोना निश्चित रूप से किसी के लिये भयंकर आपदा है तो किसी के लिये बहुत बड़ा अवसर। खाद्य व पेट्रोलियम पदार्थों के रेट में बेइंतहा इजाफा लगातार जारी है। पेट्रोल व डीजल के दामों में लगातार हो रही वृद्धि ने खाद्य पदार्थों के रेट में भी आग लगाने का काम किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस माह खाद्य तेलों के दाम पिछले एक दशक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की हाल ही में हुई बैठक में बढ़ते दामों पर चिंता जताते हुए आवश्यक कदम उठाने की वकालत की गई। विभाग ने कहा है कि पिछले कुछ माह में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत के मुकाबले भारत में इनके दामों में कहीं अधिक बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। इस पर केंद्र सरकार ने भी अपनी चिंता जाहिर की थी. जिसके बाद खाद्य तेल के व्यापार से सम्बंधित सभी पक्षों को इस बैठक को बुलाया गया था। भारत में खाद्य तेल का 60 प्रतिशत से अधिक का आयात विदेशों से होता है इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ इसको जोड़कर देखा जाता है।
स्टेट सिविल सप्लाईज डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार देश में रिटेल में खाद्य तेल के मासिक औसत रेट जनवरी 2010 से अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। ये आंकडें उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद हैं। मंगलवार को मिले डाटा के अनुसार, मई माह में सरसों के तेल के औसत दाम 164.44 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए। ये दाम पिछले साल मई माह से 39 प्रतिशत अधिक है। मई 2020 में सरसों के तेल का औसत दाम 118.25 रुपये प्रति किलोग्राम था। मई 2010 में इसके दाम 63.05 रुपये प्रति किलोग्राम था।
पाम ऑयल के मई में सत दाम 131.69 रुपये प्रति किलोग्राम रहे जो कि पिछले साल के मुक़ाबले 49 प्रतिशत अधिक है। मई 2020 में पाम ऑयल के औसत दाम 88.27 रुपये प्रति किलोग्राम थे। वहीं अप्रैल 2010 में इसके दाम 49.13 रुपये प्रति किलोग्राम था। अन्य तेलों में इस माह मूंगफली तेल के औसत दाम 175.55 रुपये, वनस्पति के 128.7 रुपये, सोयाबीन तेल के 148.27 रुपये और सनफ़्लावर तेल के 169.54 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गए हैं. पिछले साल के मुकाबले इन तेलों के औसत दाम में 19 से 52 प्रतिशत तक की बदोत्तरी दर्ज की गयी है।