आपरेशन एयरलिफ्ट काबुल- अमेरिका की मदद से सभी भारतीय अफगान से भारत पहुंचे
नई दिल्ली। तमाम राजनीतिक व कूटनीतिक कोशिशों के बाद भारत अपने सभी भारतीय राजनयिकों, अफसरों व आईटीबीपी के सुरक्षा कर्मियों को मुल्क लाने में सफल रहा। इस पूरी प्रकिया के दौरान कई बार डराने वाले वाक्य भी सामने आये। तालिबान ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों समेत कुछ अन्य लोगों की सोमवार हुई वापसी में विघ्न पहुंचाने की कोशिश की थी।
दरअसल, काबुल स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों, राजनयिको और सुरक्षा कर्मियों को निकालने के मकसद से भारत ने 15 अगस्त को ही दो भारतीय वायुसेना के जहाज़ काबुल भेजे थे मगर काबुल में 15 और 16 अगस्त को हालात इतने बिगड़ गए थे कि ये संभव नहीं हो पाया। तालिबान ने पूरे डिप्लोमेटिक इलाके को घेर लिया था और खास कर भारतीय दूतावास पर कड़ी निगरानी कर रहे थे। यही नहीं तालिबान ने तो भारतीय वीज़ा की एजेंसी शाहीर वीज़ा एजेंसी को भी रेड कर दिया था। सोमवार को जब करीब 45 लोगों का पहला दस्ता काबुल एयरपोर्ट के लिए रवाना हुआ तब रास्ते में तालिबान ने उनका रास्ता रोक लिया था और उनसे कई सामान भी छीन लिए थे। किसी तरह इन सभी लोगों को एयरपोर्ट पहुंचाया गया, जिसके बाद उन्हें सुरक्षित दिल्ली वापस लाया जा सका। हालांकि एयरपोर्ट पर मौजूद हज़ारो लोगों की भीड़ ने उसमें भी काफी बाधा डाली थी।
यही नहीं, इसमें बड़ी अहम भूमिका विदेश मंत्री डॉ जयशंकर की अमेरिकी विदेश मंत्री और एनएसए डोवाल की अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से बात ने निभाई। इसके बाद ही अमेरिका की मदद से आज सभी भारतीयों को देश वापस लाया जा सका।