BREAKING Exclusive उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय

सुबह हुई, पीएम मोदी आये और… यह ऐलान कर दिया

Nov 19, 2021
Spread the love
  • यूं ही नहीं लिया गया कानून वापसी का फैसला
  • पिछले डेढ़ माह से चल रही थी इसकी कवायद
  • केंद्र तक जाने वाले यूपी में हार का सामना करने को भाजपा तैयार नहीं
  • सबसे अधिक विस सीटों वाला प्रदेश है यूपी
  • पंजाब में चौथे नंबर पर रही है भाजपा
  • रथ यात्रा के दौरान भी मिले नाकारात्मक संकेत

सुबह हुई…पीएमओ आफिस से ट्वीट हुआ और थोड़ी देर बाद ही पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित कर दिया। जिज्ञासा जाग उठी कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो एकाएक ही रंगमंच तैयार कर दिया गया। पीएम मोदी ने पहले गुरू पर्व व गंगा स्नान की बधाई,शुभकामनायें देते हुए महत्व बताया फिर ऐलान कर दिया कि तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लिया गया है। सवाल उठता है कि क्या यह सब यूं ही हो गया…एकाएक ही हो गया। जवाब नाकारात्मक है। कृषि कानूनों की लड़ाई जिस तरह दिल्ली बार्डर से निकल कर अन्य प्रदेशों व विशेषत- लखनऊ पहुंची उसकी आहट ने केंद्र सरकार को बैक फुट पर लाने के लिये बाध्य कर दिया। समझ में आ चुका है कि उन कानूनों के चलते जिन्हें देश का किसान काला कानून बता चुका है आने वाले विधानसभा चुनावों में बड़ी बाधा खड़ी करने वाला साबित होगा। हाल ही पंजाब व उत्तर प्रदेश के चुनाव होने ही हैं और भाजपा ऐसा कोई काम करना नहीं चाहती जो सरकार बनाने में बड़ी बाधा हो। यही कारण रहा कि करीब एक साल बाद इन कानूनों को वापस ले लिया गया।

भाजपा से जुड़े सूत्रों का दावा है कि पीएम मोदी को इस बात की बराबर जानकारी दी जा रही थी कि कृषि कानूनों के चलते पश्चिम उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रति लोगों की खासी नाराजगी है। पार्टी द्वारा निकाली गई किसान यात्रा के दौरान भी ऐसे ही संकेत पार्टी नेतृत्व को मिले। लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के सुपुत्र के काले कारनामे से भाजपा पार्टी पहले से ही जूझ रही है। यहां भी चार किसानों को एसयूवी के नीचे कुचल दिया गया था। ये किसान प्रदेश के डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष विरोध प्रदर्शन करने इक्ट्ठा हुए थे। इसे लेकर विपक्ष लगातार किसान आंदोलन व लखीमपुर खारी कांड को हवा दे ही रहा है।

बताया जा रहा है कि इन सब हालात को देखते हुए करीब डेढ़ माह से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की सहमति बनाने की कवायद शुरू हो गयी थी। दरअसल, उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को दिल्ली की राह के तौर पर देखा जाता रहा है। सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में अगर थोड़ी सी कसर की वजह से सत्ता चली जाए तो दिल्ली का रास्ता कठिन होते देर नहीं लगती है, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व क़तई ख़तरा मोल नहीं लेना चाहता था। रही बात पंजाब की तो वहां भाजपा पहले से ही चौथे नंबर की पार्टी है। पहले नंबर पर कांग्रेस व अकाली दल की दावेदारी चलती रहती है। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर के पायदान पर काबिज हो गई थी। यही कारण है कि कृषि कानून वापसी के बाद भी भाजपा को पंजाब में किसी खास बदलाव की राह नजर नहीं आती है, लिहाजा वह अपना सारा ध्यान उत्तर प्रदेश के वोटर पर केंद्रित रखना बेहतर समझती है। लिहाजा इसे देखते हुए पीएम मोदी ने कृषि कानून पर बैकफुट पर आने में ज्यादा भलाई समझी और आज सुबह उसका ऐलान भी कर दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *