किसान आंदोलन का एक साल पूरा : ये खोया और ये पाया भी
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किसान आंदोलन का एक साल पूरा : ये खोया और ये पाया भी

Nov 26, 2021
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 तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को आज पूरा एक साल हो गया। बीते साल ‘दिल्ली चलो’ के नारे के साथ किसान आंदोलन की शुरूआत की गई थी। इस एक साल में आंदोलन के दौरान कई बार कई उतार व चढ़ाव देखने में आये। 26 जनवरी को लाल किले की हिंसा के साथ कई जगह हिंसा की वारदातें, बहादुरगढ़ में एक व्यक्ति को जिंदा जलाना, सिंघु बॉर्डर पर बर्बर हत्या भी इस आंदोलन के काले अध्याय माने गये, इस बीच, एक पल वह भी आया जब राकेश टिकैत की बेबसी व आंख से टपकते आंसू साफ देखे गये। ये आंसू ही रहे जिससे आंदोलन में एक बारगी फिर से जान पड़ गई। अब पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी है, मोदी कैबिनेट ने भी इस पर मोहर लगा दी है लेकिन अभी किसान आंदोलनरत हैं। एमएसपी समेत कई मांग अभी उनकी बाकी है। जाहिर है जो उन्हें आंदोलन पर टिकने व सरकार को परेशानी में डाले रखने वाली साबित हो रही हैं, फिर कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी अपेक्षित हैं। आज फिर से किसान दिल्ली बार्डर पर जमा हो रहे हैं।

किसान आंदोलन की कुछ प्रमुख तारीखों पर नजर डाली जाये तो 26 नवंबर 2020 को दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन शुरू हुआ था। 8 दिसंबर 2020 को किसानों ने भारत बंद रखा, 12 जनवरी को कानून के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। 20 जनवरी को कानून सस्पेंड करने का सरकारी प्रस्ताव लाया गया और 22 जनवरी को सरकार से किसान संगठनों की आखिरी बातचीत हुई। वार्ता कई बार कई दौर चली लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली हुई, लालकिले पर हिंसा हुई। 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा हुई, विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई, चार किसानों की मौत हो गयी जबकि प्रतिक्रियास्वरूप हुई कार्यवाही में भाजपा के चार कार्यकर्ता भी मारे गये। 15 अक्टूबर को सिंघु बॉर्डर पर बर्बर हत्या हुई, जिसने तालिबानी प्रवृति को भी हिला कर रख दिया। 21 अक्टूबर को रास्ता बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई। 19 नवंबर को कृषि कानून वापस लेने पीएम मोदी ने एलान कर दिया।

पीएम मोदी के एलान के बाद अभी भी किसान आंदोलनरत हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अब आगे क्या होगा। अब 26 नवंबर को किसानों का दिल्ली कूच, दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन होगा, 28 नवंबर को मुंबई में संयुक्त किसान मोर्चा की रैली होगी, 29नवंबर को संसद तक किसानों का ट्रैक्टर मार्च, 60 ट्रैक्टर पर 1000 किसानों का कूच होगा। किसान MSP को कानूनी अधिकार मिले, बिजली बिल का ड्राफ्ट वापस हो, प्रदूषण के लिए किसानों को सजा न मिले, किसानों से मुकदमा वापस हो, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए और शहीद किसानों को मुआवजा देने की मांग पर टिके हुए हैं।

पीएम मोदी के एलान के बाद तीनों कृषि कानून वापसी की तरफ बढ़ते सरकार के कदमों के तहत कैबिनेट ने कानून वापसी के बिल को मंजूरी दे दी है। अब संसद के दोनों सदनों में बिल पेश होगा, संसद के दोनों सदनों से बिल पास कराना जरूरी है। बिल पर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद तीनों कानून वापस हो जायेंगे। चूंकि कृषि कानून संसद से पास हैं, इसलिए संसद से ही इनकी वापसी भी होगी।

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