उलाहने, ताने, आतंकवादी और न जाने क्या क्या, लेकिन अंत भला तो सब भला, अब जोश व उत्साह
- 380 दिन बाद घर हुई किसानों की वापसी
- गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत ने दिखाई हरी झंडी
- आंदोलन के 380 दिन. कभी उतार तो कभी चढ़ाव भी
- किसानों को दिये गये उलाहने व ताने भी
- किसानों को आंतकवादी तक बता दिया गया
- झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिये
जोश, उत्साह जिद, लंबी चली जद्दोजहद के बाद अन्नदाता की जीत हो गयी। आज यानी 11 दिसम्बर को विधिवत घर वापसी भी शुरू हो गयी। विजय दिवस के रूप में हो रही इस घर वापसी का जोश किसान के साथ ही हर उस व्यक्ति के चेहरे पर नजर आ रहा है जो किसी न किसी रूप में किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ है। किसान संगठनों ने इस दौरान यह भी दिखा दिया कि झुकती है दुनिया..बस झुकाने वाला चाहिये…सोशल मीडिया पर इस जीत के बाद यह स्लोगन भी खूब चला जिसमें कहा गया था कि झुकता है मोदी..झुकाने वाला चाहिये। आंदोलन समाप्ति के 378 और घर वापसी 380वें दिन किसानों ने अपने जोश से यह भी जता दिया कि किसान हितों की लड़ाई अभी जारी रहेगी भले ही वह फिलहाल घर जा रहे हैं।
तीन कृषि कानून की समाप्ति के बाद किसान संगठनों पर बराबर यह दबाव था कि वे यह आंदोलन अब यहीं खत्म कर दें लेकिन किसान नहीं माने। लगे हाथ उन्होंने एमएसपी, आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी आदि कुछ महत्वपूर्ण मांग भी सरकार के सामने रख दी। सरकार ने कुछ समय ना नुकर की लेकिन अंतत केंद्र सरकार को झुकना पड़ा। एमएसपी के मुद्दे पर अब यह तय हो गया है कि इस बाबत विचार कर निर्णय लेने वाली कमेटी में किसानों को भी महत्वपूर्ण दायित्य व सहभागिता दी जायेगी। इसके बाद ही आंदोलन खत्म होने का मार्ग प्रशस्त हो गया और किसान संगठनों ने 11 दिसम्बर का दिन घर वापसी के लिये मुकर्रर कर दियाा। और आज विजय दिवस के रूप में इसकी विधिवत्त शुरूआत भी हो गई।
गाजीपुर बार्डर पर भाकियू नेता राकेश टिकैत ने बिजनौर के किसानों के जत्थे को घर के लिये हरी झंडी दिखाते हुए रवाना किया। इसके साथ ही किसान आंदोलन खत्म या फिर कहें स्थगित हो गया। मगर इस भरोसे के साथ अब फिर कभी सवाल किसानों की रोटी का न होगा। दिल्ली की कंक्रीट की इन सड़कों पर फिर कभी किसानों को अपना पिंड नहीं बसाना पड़ेगा. आज खुला आसमान है। तिरंगे की मजबूत पकड़ है। ये तिरंगा ही तो किसानों का कवच रहा। इस दौरान किसानों को क्या क्या ताने व उलाहने नहीं दिये गये। आंतकवादी तक बताया गया लेकिन चलो अंत भला तो सब भला।