दिल्ली में भाजपा का मंथन : 45 से ज्यादा इन विधायकों का कट सकता है टिकट
- बैठक में पाया कि योगी जनता की सर्वोच्च पसंद हैं
- लेकिन जनता स्थानीय विधायकों की क्रिया कलापों से नाखुश
- ऐसे विधायकों को टिकट मिला तो हार तय
- कई विधायकों ने खड़ी की अथाह संपत्ति
- जनता की बजाय अपने काम को दी प्राथमिकता
भाजपा से इस्तीफों की बारिश के बीच पार्टी ने चुनावी मैदान में उतरने के लिये कमर को और कस लिया है। डैमेज कंट्रोल के बीच दिल्ली में आज हुई पार्टी की उच्च स्तरीय मीटिंग में यह बात निकल कर सामने आयी कि यूपी में योगी से जनता की नाराजगी नहीं है लेकिन स्थानीय विधायकों से वे खासे नाराज है। इसे देखते हुए उन विधायकों के नाम पर चर्चा की गई जो जनता की नाराजगी की श्रेणी में आते हैं। सूत्रों का दावा है कि ऐसे विधायकों की संख्या 45 से ज्यादा है। जाहिर है कि इन सभी पर इस बार टिकट बटवारे के दौरान तलवार लटकना स्वाभाविक है।
यूपी में चुनाव घोषित होते हुए आज भाजपा को एक के बाद एक कई झटके लगे। पहला बड़ा झटका भाजपा को स्वामी प्रसाद मौर्य के रूप में लगा। स्वामी प्रसाद ने यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही भाजपा को बाय बोल दिया। स्वामी प्रसाद के बाद उनके करीबी तीन और विधायकों बांदा जिले की तिंदवारी से विधायक ब्रजेश प्रजापति, शाहजहांपुर की तिलहर सीट से विधायक रोशन लाल वर्मा और कानपुर के बिल्हौर से भाजपा विधायक भगवती सागर ने भी भाजपा को अलविदा कह दिया। इन सभी विधायकों ने स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में पार्टी से किनारा किया है।
भाजपा नेतृत्व जहां एकदम से ही सक्रिय होकर डैमेज कंट्रोल में जुट गया वहीं यह भी कहा जाने लगा है कि अब केवल वही विधायक पार्टी छोड़ कर कही ओर जा रहे हैं जिनको इस बार टिकट नहीं मिलना था। टिकट कटने के डर से वे पार्टी छोड़ रहे हैं। बता दें कि समोवार को बंदायू कि बिल्सी विधानसभा से भाजपा के विधायक पंडित आरके शर्मा ने भाजपा को अलविदा कह दिया था। शर्मा ने अखिलेश की मौजूदगी में सपा ज्वाइन कर ली है। स्वामी प्रसाद मौर्य समेत बाकी तीनों विधायकों के समाजवादी पार्टी में जाने की खबर है।
इस बीच, दिल्ली में हुई बैठक में कहा गया है कि जनता के बीच योगी को भरपूर समर्थन प्राप्त है। वह बहुसंख्यक समाज में एक दमदार व हिंदूवादी नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं लेकिन जनता के बीच ऐसा एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो स्थानीय विधायक के क्रिया कलापों से खासा नाराज है। इनमें से कई विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने पार्टी की गणेश वंदना तो की लेकिन जनता के बीच जाकर कोई काम नहीं किया, कुछ ने अथाह संपत्ति भी अर्जित कर ली है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे विधायकों की संख्या 45 से ज्यादा है। इन लोगों के टिकट काटने पर भी तेजी से से विचार चल रहा है। सूत्रों ने यह भी बताया कि आगामी तीन चार दिन में प्रत्याशी विधायकों के नामों की भी सूची जारी हो सकती है। कारण साफ है कि जितना जल्दी प्रत्याशियों के नाम घोषित होंगे उतना जल्द ही इससे होने वाली उछलकूद व नाराजगी को शांत किया जा सकेगा। साथ ही घोषित प्रत्याशी को जनता के बीच जाने का भी भरपूर टाइम मिलेगा, वैसे भी चुनाव आयोग की सख्ती के बाद प्रत्याशी को डोर टू डोर व अन्य माध्यमों से ही मतदाता की खुशामद करनी होगी।