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सुपरटेक के दोनों टावर 22 मई तक हो जायेंगे जमींदोज

Feb 28, 2022
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  • प्राधिकरण ने हलफनामे में दी यह जानकारी
  • सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को दिया था आदेश
  • सुप्रीम कोर्ट ने विभागीय मिलीभगत की बात भी कही थी
  • चालीस मंजिला हैं दोनों टावर
  • टावर गिराने का खर्चा भी सुपरटेक ही वहन करेगा

सुपरटेक की बेहद महत्वकांक्षी योजना एमरेल्ड ट्विन टावर पर संकट के बादल बुरी तरह से घिर गये हैं। नोएडा विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को दिये हलफनामे में कहा है कि इस ट्विन टावर को गिराने का काम शुरू हो गया है। 22 मई तक इसे जमीदोज कर दिया जायेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 17 मई को होनी है, कोर्ट ने 17 मई को ताजा हालात की रिपोट पेश करने के लिये भी कहा है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।

दरअसल, सुपरटेक ने नोएडा में अपनी इस अति महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत की थी। चालीस मंजिला इन दो टावरों को खड़ा तो किया गया लेकिन नियमों को ताक कर रखकर। यह सब बिना नोएडा विकास प्राधिकरण की मिलीभगत के संभव नहीं है। बीती 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक के एमरॉल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 फ्लोर के टि्वन टावर (टी-16 और टी-17) को अवैध करार देते हुए गिराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टि्वन टावर में जो भी फ्लैट बॉयर्स हैं, उन्हें दो महीने के भीतर उनके पैसे रिफंड किए जाएं। साथ ही उस रकम का 12 फीसदी ब्याज का भी भुगतान किया जाए ऐसा आदेश था।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस बेंच ने 7 फरवरी को दो हफ्ते में ट्विन टावर ढहाने का काम शुरू करने के आदेश दिए थे। पिछली सुनवाई में दोनों टावरों को गिराने के लिए नोएडा अथॉरिटी की ओर से सुझाई गई कंपनी को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। इसके साथ ही अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को एक हफ्ते में डिमोलिशन एजेंसी अमेरिकी कंपनी ‘एडिफिस’के साथ समझौते पर दस्तखत करने का आदेश दिया था। फैसला सुनाते हुए जस्टिस चंद्रचूड ने कहा था कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है। इस मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया। नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला बिल्कुल सही था। अदालत ने कहा था कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए।

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