सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग की जगह को सील करने व नमाज बाधित न होने देने के आदेश दिये
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग अथवा फैव्वारा मिलने के दावों प्रतिदावों के बीच अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने वाराणसी कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि वाराणसी कोर्ट को यह आदेश देने का अख्तियार ही नहीं है। इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस स्थल को सील करने के आदेश दे दिये जहां शिवलिंग मिला है। साथ ही यह भी कहा है कि इसके चलते नमाज में बाधा नहीं आनी चाहिये। अगली सुनवाई गुरूवार को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि अगली सुनवाई तक के लिए हम वाराणसी के डीएम को आदेश देते हैं कि शिवलिंग मिलने वाले स्थान की सुरक्षा की जाए, लेकिन मुस्लिमों को नमाज पढ़ने में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। इस याचिका की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिन्हा की पीठ के समक्ष की गई। इसके बाद हिंदू सेना ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है। बता दें कि ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश वाराणसी की कोर्ट ने दिया था। इस मामले में मुस्लिम पक्ष पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act, 1991) के आधार पर दलीलें दे रहा है। इस कानून को 1991 में बनाया गया था।
इसके मुताबिक पूजा स्थलों की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 में थी वही रहेगी। हालांकि इस कानून की परिधि से अयोध्या की राम जन्मभूमि को अलग रखा गया है। कानून कहता है अयोध्या राम जन्म भूमि मुकदमे के अलावा जो भी मुकदमे हैं वे समाप्त समझे जाएंगे। यह कानून पूजा स्थल वापस पाने के दावे का मुकदमा दाखिल करने पर भी रोक लगाता है। सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की वैधानिकता पर विचार होना मौजूदा परिस्थितियों में बहुत महत्वपूर्ण है।