- पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री पद पर कार्यरत थे विजय सिंगल
- उनके भ्रष्टाचार की बराबर मिल रही थी शिकायतें
- एक माह से अरविंद केजरीवाल के राडार पर थे सिंगला
- खुद कमीशन स्वीकारने के बाद लिया गया यह कदम
- पहले बर्खास्त फिर गिरफ्तारी, ओएसडी भी गिरफ्तार
- 58 करोड़ का प्रोजेक्ट, 1.16 cr की घूस मांगने का आरोप
स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को कैबिनेट से बर्खास्त कर गिरफ्तारी करा कर आप सरकार ने एक संदेश दे दिया है कि वह भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करनी वाली है। आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर पंजाब के मुख्यमंत्री भागवत मान के इस कदम की प्रशंसा भी की। केजरीवाल ने यह भी साबित करने की कोशिश की कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं सिर्फ कहते ही नहीं, बल्कि मंत्री को बर्खास्त कर गिरफ्तार भी करा सकते हैं। विजय के बाद पंजाब पुलिस की विजिलेंस विंग ने सिंगला के ओएसडी प्रदीप कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया है। जहां तक बात विजय सिंगला की है तो बताया जा रहा है कि वह करीब एक माह से अरविंद केजरीवाल के राडार पर थे। उनकी हर हरकत पर नजर रखी जा रही थी।
दरअसल, पंजाब हेल्थ सिस्टम कार्पोरेशन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर राजिंदर सिंह को करीब एक माह पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला के ओएसडी प्रदीप कुमार ने पंजाब भवन के कमरा नंबर 203 में बुलाया था। यहां मौजूद मंत्री विजय सिंगला यह कहते हुए वहां से निकल गये कि वह जल्द में हैं , उनकी जगह प्रदीप बात कर लेंगे। सूत्रों ने दावा किया कि यहां राजिंदर सिंह को बताया गया था कि 58 करोड़ रुपये के निर्माण कार्यों का आवंटन किया गया है। इस कुल राशि का 2 प्रतिशत यानी 1.6 करोड़ रुपये मंत्री को दिया जाए।
इसके बाद प्रदीप कुमार ने इंजीनियर को 8 मई, 10 मई, 12 मई, 13 मई और 23 मई को वॉट्सऐप कॉल किए। राजिंदर सिंह ने इस दौरान कहा कि वह ये काम नहीं कर सकते। भले ही उन्हें वापस उनके विभाग में भेज दिया जाए। वह डेपुटेशन पर हेल्थ विभाग में है। सूत्रों का कहना है कि इस बाद 20 मई को मंत्री और ओएसडी ने 10 लाख रुपये की कमीशन राशि पर बातचीत करने की कोशिश की। इस पर राजिंदर सिंह ने उन्हें 5 लाख रुपये देने की पेशकश की। 23 मई को राजिंदर सिंह को मंत्रालय बुलाया गया। जहां उनसे कहा गया कि आगे से जो भी काम अलॉट होगा या ठेकेदार को पेमेंट होगी तो उसमें से 1% रख लेना।
इंजीनियर ने 23 मई को कथित तौर पर बातचीत को रिकॉर्ड किया था, जिसे बाद में मुख्यमंत्री और पुलिस के साथ साझा किया गया। मुख्यमंत्री ने मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उन्हें अपने आवास पर बुलाया था और उनसे सच बताने को कहा था कि क्या इंजीनियर द्वारा रिकॉर्ड किया गया ऑडियो असली है? वहीं, भगवंत मान ने कहा था कि मंत्री द्वारा रिश्वत (शुकराना) की मांग करने की बात कबूल करने के बाद उन्हें हटा दिया गया था।
ऐसी खबरें भी हैं कि ऑडियो पहले ही लीक हो चुका था और सरकार को विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया का डर था. विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि मंत्री को जल्दबाजी में बर्खास्त क्यों किया गया? राजिंदर सिंह का खुद एक दागी अतीत रहा है। 2018 में एक घोटाला सामने आने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था।