यूपी में बुलडोजर मामले पर सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया समय
उत्तर प्रदेश की बुलडोजर राजनीति से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 13 जुलाई तक के लिये टाल दी है। दरअसल, जमीयत ने बीते दिवस ही एक जवाब दाखिल किया है, उसमें कुछ नये मामलों का उल्लेख किया गया है। ये मुख्य याचिका का हिस्सा नहीं थे। इन का जवाब देने के लिये प्रदेश सरकार को समय चाहिये । इस पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई कर दी है। मामले में सीधे प्रभावित एक पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है, उस पर भी सुनवाई लंबित है।
पिछले दिनों भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के बाद यूपी के कई जिलों में जुमे की नमाज के बाद बवाल हुआ था। प्रयागराज व कानपुर में पुलिस पर पथराव के साथ ही आगजनी की घटनाएं भी हुई थी। पुलिस ने बड़ी संख्या में ऐसे भवन चिन्हित किये थे जहां से पुलिस पर पथराव किया गया था। कुछ समय बाद ही विकास प्राधिकरण ने मुख्य आरोपी के मकान पर यह कहते हुए बुलडोजर चला दिया था कि यह अनाधिकृत रूप से निर्मित है। इसके अलावा कुछ अन्य निर्माण पर भी बुलडोजर चला था। इसके खिलाफ उलेमा हिंद ने यह कहते हुए याचिका दायर की है कि दुर्भावनापूर्ण तरीके से यह एकतरफा कार्यवाही की गई है। इस पर रोक लगाने की मांग की गयी थी।
कल मामले पर जवाब दाखिल करते हुए जमीयत उलेमा हिंद ने कहा था कि प्रदेश सरकार वर्ग विशेष को निशाना बनाकर की जा रही कार्रवाई को रूटीन प्रशासनिक कार्रवाई बता रही है। जबकि मुख्यमंत्री समेत बड़े पद पर बैठे कई लोग दंगे के आरोपियों को सबक सिखाने के लिए बुलडोज़र चलाने का बयान दे चुके हैं।
जमीयत ने मामले में कुछ नए तथ्य भी रखे थे। जमीयत ने प्रयागराज में हुए बुलडोजर एक्शन को लेकर यूपी सरकार के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यूपी सरकार ने जावेद मोहम्मद के खिलाफ बुलडोजर एक्शन से पहले उनको नोटिस देने की बात कही लेकिन यह मकान उनकी पत्नी के नाम था। वहीं सहारनपुर में एक मकान को बिना नोटिस इसलिए तोड़ा गया, क्योंकि उसमें रह रहे किराएदार के नाबालिग बेटे पर दंगे का आरोप था। इससे पहले ही उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। राज्य सरकार ने कहा था कि इस कार्रवाई का दंगों से संबंध नहीं है। जमीयत मामले को गलत रंग दे रहा है। जिन संपत्तियों पर कार्रवाई हुई उन्हें तोड़ने का आदेश कई महीने पहले जारी हो चुका था।
राज्य सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जमीयत ने कल ही एक जवाब दाखिल किया है उसमें कुछ नए मामलों का उल्लेख किया गया है जो मुख्य याचिका का हिस्सा नहीं थे। ऐसे में उन पर जवाब के लिए समय मिलना चाहिए। मेहता ने यह भी कहा कि मामले में सीधे प्रभावित एक पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उस पर भी सुनवाई लंबित है।