जुड़वा टावर के गुनहगारों की पहचान, अब इन पर भी होगा एक्शन- अवनीश अवस्थी
नोएडा में सुपरटेक के ट्वविन टावर को आज विस्फोट कर जमीदोज कर दिया गया। टावर जब ध्वस्त हुए तो आसपास की सोसायटी में कई लोगों ने तालियां बजाकर इसका स्वागत किया तो कुछ के चेहरे पर शिकन भी नजर आयी। ऐसे में सत्ताधारी पार्टी के ही कपिल मिश्रा व तमाम अन्य लोगों ने सवाल खडे किये कि जिसने बनाई और जिन्होंने बनवाई उनके खिलाफ कार्यवाही क्या ? इसका जवाब उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने दिया है। उन्होंने कहा कि इस निर्माण में लिप्त लोगों की पहचान कर ली गई है जल्द ही उनके खिलाफ भी एक्शन लिया जायेगा। साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद इन अवैध टावरों को गिराया जाना साबित करता है कि कानून से कोई बच नहीं सकता। ये उन लोगों को सख्त संदेश देगा कि राज्य में अवैध काम को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव ने यह कार्यवाही का दावा जरूर किया है लेकिन यह बात भी उल्लेखनीय है कि इसमें लिप्त तमाम अफसर सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
आठ सौ करोड़ रुपये की कीमत वाले ट्वविन टावर को आज गिरा दिया गया। तय समय पर दोपहर ढाई बजे सायरन बजा, विस्फोट हुआ और ट्वीन टावर भरभराते हुए नीचे आ गिरे, देखते ही देखते आसपास धूल का गुबार छा गया। इन टावर को कैसे गिराया जाए यह तय करने में 181 दिन जरूर लगे लेकिन वाटर फाल तकनीक का कुछ इस तरह से इस्तेमाल किया गया कि आसपास कोई उल्लेखनीय नुकसान नहीं हुआ। पास की एक सोयासटी की चाहरदीवारी जरूर क्षतिग्रस्त हुई है। नोएडा में सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा, संगीता अरोड़ा, अनिल शर्मा और विकास कंसल ने नियम कायदे कानून से खेलते हुए इस ट्वीन टावर का निर्माण कर डाला। भ्रष्टाचार में अकंठ तक डूबे प्राधिकरण व सरकार में बैठे नुमाइंदों ने इसे बनने भी दिया। कभी कानून के नाम पर तो कभी नियमों की आड़ लेकर।
सितम्बर 2021 में सीएम योगी के आदेश पर चार लोगों की एक समिति गठित की गई। समिति की रिपोर्ट के आधार पर 26 अधिकारियों/कर्मचारियों , सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक एवं उनके वास्तुविदों के विरुद्ध कार्रवाई की गई। इस मामले में अक्टूबर 2021 में प्राधिकरण के संलिप्त अधिकारी, सुपरटैक लिमिटेड के निदेशक तथा आर्किटेक्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। साथ ही नोएडा की जिला अदालत में मुकदमा भी दाखिल किया गया है।
Twin Tower के गुनहगारों की सूची पर नजर डाली जाये तो यह फेहरिस्त काफी लंबी है। उपरोक्त चार निदेशकों के साथ जिन अधिकारियों की इस निर्माण में लिप्तता पाई गई है उनमें ये लोग शामिल हैं।
मोहिंदर सिंह /CEO नोएडा (रिटायर्ड)
एस.के.द्विवेदी /CEO,नोएडा (रिटायर्ड)
आर.पी.अरोड़ा/अपर CEO,नोएडा (रिटायर्ड)
यशपाल सिंह/विशेष कार्याधिकारी (रिटायर्ड)
स्व. मैराजुद्दीन/प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
ऋतुराज व्यास/ सहयुक्त नगर नियोजक(वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक)
एस.के.मिश्रा /नगर नियोजक (रिटायर्ड)
राजपाल कौशिक/वरिष्ठ नगर नियोजक (रिटायर्ड)
त्रिभुवन सिंह/मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटायर्ड)
शैलेंद्र कैरे/उपमहाप्रबन्धक,ग्रुप हाउसिंग (रिटायर्ड)
बाबूराम/परियोजना अभियंता (रिटायर्ड)
टी.एन.पटेल/प्लानिंग असिस्टेंट (सेवानिवृत्त)
वी.ए.देवपुजारी/मुख्य वास्तुविद नियोजक (सेवानिवृत्त)
श्रीमती अनीता/प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उ.प्र.राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण)
एन.के. कपूर /एसोसिएट आर्किटेक्ट (सेवानिवृत्त)
मुकेश गोयल/नियोजन सहायक (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर गीडा में कार्यरत)
प्रवीण श्रीवास्तव/सहायक वास्तुविद (सेवानिवृत्त)
ज्ञानचंद/विधि अधिकारी (सेवानिवृत्त)
राजेश कुमार /विधि सलाहकार (सेवानिवृत्त)
स्व. डी.पी. भारद्वाज/प्लानिंग असिस्टेंट
श्रीमती विमला सिंह/ सहयुक्त नगर नियोजक
विपिन गौड़/महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त)
एम.सी.त्यागी/परियोजना अभियंता (सेवानिवृत्त)
के.के.पांडेय/ मुख्य परियोजना अभियंता
पी.एन.बाथम/ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी
ए.सी सिंह/वित्त नियंत्रक (सेवानिवृत्त)। इसके अलावा परियोजना के आर्किटेक्ट के रूप में दीपक मेहता एंड एसोसिएट आर्किटेक्ट के दीपक मेहता और मोडार्क आर्किटेक्ट के नवदीप कुमार को भी मामले में आरोपी बनाया गया है।
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