बिसलेरी को मिलेगा नया मालिक, कौन सी कंपनी से हुई डील?
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बिसलेरी को मिलेगा नया मालिक, कौन सी कंपनी से हुई डील?

Nov 24, 2022
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  • बिसलेरी को मिलेगा नया मालिक
  • टाटा ग्रुप के साथ डील फाईनल
  • 7 या 8 करोड़ में बेची जा सकती है कंपनी
  • जानिये बिसलेरी का इतिहास

भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वॉटर कंपनी बिसलेरी को नया मालिक मिलेगा। इसका नेतृत्व कर रहे रमेश चौहान ने इसे बेचने का निर्णय ले लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा ग्रुप के साथ इसकी डील फाइनल हो चुकी है। ये सौदा 6 हजार करोड़ या 7 हजार करोड़ रुपए में हो सकता है। शायद यह बात आप नहीं जानते होंगे कि देश में बोतलबंद पानी के क्षेत्र में सबसे अव्वल दर्जे पर बिसलेरी की शुरुआत कैसे हुई। आईए जानते है

बिसलेरी ब्रांड का नाम भारत में इतना लोकप्रिय हो चुका है। कि हर कोई बोतलबंद पानी के नाम पर बिसलेरी की बोतल ही खरीदना चाहता है। इस कंपनी की कमान फिलहाल 82 साल के रमेश चौहान के हाथों में है।

अगर बिसलेरी के इतिहास के बारे में बात करें तो यह एक इटावली (Italy) कंपनी है। और ये कंपनी शुरुआत में पानी नहीं बेचती थी। यह एक फार्मासियुटिकल कंपनी थी। जो कि मलेरिया की दवाईयां बेचती थी। और इसके संस्थापक इटली के बिजनेसमैन Felice Bisleri थे। उनकी मृत्यु के बाद उनके फैमिली डॉक्टर बिसलरी को पूरी जिम्मेदारी के साथ आगे ले गए। इटली से भारत तक इसको पहुंचाने वाले भी यही थे। असल में बिसलरी के मालिक फेलिस ने बिसलेरी के नाम से पानी बेचने की योजना बनाई थी। लेकिन उनके इस प्लान को डॉक्टर रूसी आगे लेकर आए। डॉ संतूक ने खुशरू संतूक नामक वकील के साथ मिलकर बिसलरी को पानी का कारोबार करने के लिए लांच किया।

60 के दशक में भारत में इसकी शुरुआत हुई। उस दौरान पैकेज वाटर बेचने के बारे में सोचना भी पागलपन था। क्योंकि उस दौरान लोग सोचते थे कि बोतलबंद पानी खरीद कर क्यों पिएं। लेकिन रोसी ने अपना काम जारी रखा। जिसके बाद 1965 में मुंबई के ठाणे में पहला बिसलेरी वॉटर प्लांट स्थापित किया था। उस समय कांच की बोतलों में पानी बेचना शुरू किया था। जिन्हें बिसलेरी बबली और बिसलेरी स्टिल के तौर पर बाजार में उतारा गया था।

उसके बाद 1969 में पार्ले (Parle) ने बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को खरीद लिया। और कांच की बोतलों में ही पानी बेचना जारी रखा। जैसे-जैसे काम में बढ़ोतरी हुई वैसे ही पार्ले PVC रिटर्न बोतलों की तरफ अपना रुख किया और Pet conteners इस्तेमाल करने शुरू कर दिए। उसके बाद 1995 में रमेश जे चौहान ने बिसलेरी की जिम्मेदारी संभाली।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्ले ने उस समय बिसलेरी को महज़ 4 लाख रुपए में खरीदा था। जबकि आज इस वॉटर का मार्केट 20,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। जिसके 60 % हिस्सा असंगठित है। और बिसलेरी की संगठित बाजार में हिस्सेदारी लगभग 20% है। वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार बिसलेरी के 122 से ज्यादा ऑपरेशन प्लांट है। इसी के साथ पूरे भारत में करीब 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से भी ज्यादा इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है।

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