13 हजार करोड़ का घोटालेबाज मेहुल चोकसी अब घूमेगा खुलेआम
- 13 हजार करोड़ का घोटाला किया है मेहुल ने
- सीबीआई ने इंटरपोल से कराया था रेड नोटिस जारी
- देश से भागने के दस माह बाद हुआ था नोटिस जारी
- रेड काॅर्नर नोटिस वापस लिया इंटरपोल ने
- अब आम नागरिक की तरह घूम सकेगा दुनिया
तेरह हजार करोड़ रुपये का घोटाला कर फरार हुए हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बड़ी राहत मिली है। इंटरपोल ने उससे रेड कॅार्नर नोटिस वापस ले लिया है। अब वह सामान्य नागरिक की तरह दुनिया में कहीं भी बिना खौफ सैर कर सकेगा। फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरपोल के मुख्यालय में चोकसी की ओर से दायर याचिका के आधार पर यह कदम उठाया गया है। मेहुल चोकसी का इस तरह रेड कॅार्नर नोटिस वापस होना कही न कहीं सीबीआई की छवि पर डेंट पहुंचाने वाला है। वहीं विपक्ष को उद्योगपति गौतम अडानी के बाद मेहुल चोकसी के रूप में मोदी सरकार को घेरने का एक और हथियार मिल गया है। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार को घेरने भी शुरू कर दिया है।
मोटे घोटाले कर देश से फरार होने वालों में मेहुल चोकसी व उसका भतीजा नीरव मोदी भी शामिल हैं। दरअसल, इन दोनों पर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच के अधिकारियों की मिलीभगत से 14 हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने का आरोप है। दोनों द्वारा साल 2011 से 2018 के बीच फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के जरिए रकम विदेशी खातों में ट्रांसफर की गई थी। सीबीआई ने इस घोटाले में इन दोनों के खिलाफ अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किया था।
1️⃣किस मंत्री ने Mehul Choksi को भगाया?
2️⃣मेहुल ने BJP को कितना चंदा दिया?
3️⃣दूसरे देश की नागरिकता के लिए NOC क्यों?
4️⃣Modi ने मेहुल को ‘भाई’ कहा?
5️⃣क्या मेहुल ने BJP Join की?
6️⃣INTERPOL को ठोस सुबूत क्यों नहीं?
7️⃣क्या Nirav Modi-Vijay Mallya भी BJP Join करेंगे?–@raghav_chadha pic.twitter.com/wNVMz1a2Y1
— AAP (@AamAadmiParty) March 21, 2023
भारत से फरार होने के करीब दस माह बाद मेहुल के खिलाफ रेड काॅर्नर नोटिस जारी किया गया था। उसी साल मेहुल ने एंटीगुआ एवं बारबुडा की नागरिकता ले ली थी। जहां तक बात रेड कॅार्नर नोटिस की है तो दुनिया के 195 मुल्क इसके सदस्य हैं। यह नोटिस इंटरपोल जारी करता है। इस नोटिस द्वारा इंटरपोल देश छोड़कर फरार हुए अपराधी के बाद में बाकी मुल्क सदस्यों को सचेत करता है। यह अपराधी को ढ़ूंढ़ने के लिये जारी किया जाता है लेकिन यह अंतर्रराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं होता है। यह महज दुनियाभर के देशों को उस शख्स के अपराध की जानकारी देता है। इस नोटिस के जरिए पकड़े गए अपराधी को उस देश में वापस भेज दिया जाता है, जहां उसने अपराध किया होता है। रेड नोटिस हटने का सीधा मतलब है कि अब वह दुनिया में कही भी घूम सकता है। इस मामले में यह भी कहा जा सकता है कि भले ही मेहुल चोकसी भारत के लिये मोस्ट वांटेड अपराधी हो लेकिन दुनिया के लिये अब वह आम नागरिक बन गया है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चोकसी ने रेड नोटिस जारी करने संबंधी सीबीई के आवेदन को चुनौती दी थी। उसने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया था। उसने याचिका में भारत में जेलों की स्थिति, उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी उठाया था। इस याचिका के बाद यह मामला पांच सदस्यीय इंटरपोल समिति की अदालत में गया था। कमिशन फॉर कंट्रोल फाइल्स नाम इस समिति ने सुनवाई के बाद रेड नोटिस रद्द कर दिया है।
इससे पूर्व चोकसी मई 2021 में एंटीगुआ और बारबुडा से रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था। वह पड़ोसी देश डोमिनिका में दिखा था। वहां उसे अवैध तरीके से घुसने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। डोमिनिका में चोकसी के पकड़े जाने की खबर सामने आने के बाद, भारत ने उसके खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस के आधार पर वापस लाने का प्रयास किया। सीबीआई भी वहां गई, लेकिन उसके वकीलों ने डोमिनिका उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दिया, जिसे स्वीकार भी किया गया। ऐसे में मेहुल को भारत नहीं लाया जा सका। चोकसी वहां 51 दिन की जेल की सजा काटने के बाद जुलाई 2021 में ज़मानत पर छूट गया था।
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