रफीक अंसारी व शाहिद मंजूर की तल्खी, कुछ ये है जिसकी पर्दादारी है
- अखिलेश यादव के रोडशो में भी दिखी तल्खी
- शाहिद मंजूर व रफीक ने बना रखी है सीमा प्रधान से दूरी
- दो बड़े विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं दोनों
- नाराजगी का यह सबब सीमा प्रधान की राह में बड़ा रोड़ा
- राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी नहीं मना पाये दोनों मुस्लिम नेताओं को
- हवाई पट्टी पर साथ नजर आये शाहिद व रफीक अंसारी
- जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह के खिलाफ लगे बैनर
समाजवादी पार्टी के भीतर चली आ रही गुटबाजी आज सपा मुखिया अखिलेश यादव के सामने भी नहीं थमी। अतुल प्रधान की धर्मपत्नी सीमा प्रधान को मेयर प्रत्याशी का टिकट मिलना सपा के दो कद्दावर नेता शहर विधायक रफीक अंसारी व किठौर विधायक शाहिद मंजूर के गले नहीं उतर पा रहा है। अतुल प्रधान व इन दोनों विधायकों के बीच काफी समय से छत्तीस का आंकड़ा कोई नई बात नहीं हैं। समय समय पर दोनों गुट एकदूसरे को नीचा दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ते आ रहे हैं। आज भी दोनों विधायक चेहरा दिखाने के लिये जरूर कुछ देर चमके लेकिन उन्होंने सीमा प्रधान के रोड शो से दूरी बना कर रखी। उनके चेहरे पर नाराजगी के भाव भी बराबर देखे जाते रहे।
हवाई पट्टी पर दूर से ही समीकरण लगा रहे शाहिद मंजूर व रफीक अंसारी। First Byte.tv
रोड शो के दौरान एक अजीब वाक्या यह भी हुआ कि पार्टी के हाल ही में जिलाध्यक्ष बनाये गये जयवीर सिंह के खिलाफ रास्ते में बैनर भी लगे पाये गये। इन लिखा था-जयवीर को बना के अध्यक्ष बेच दी, मुस्लमानों की वोट,11 का इंतजार करो जब लगेगी चोट। इस दौरान जयवीर सिंह के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। गणवेश में जयवीर सिंह का फोटो भी इस बैनर पर लगाया गया है।
पार्टी जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह के खिलाफ लगे बैनर। FirstByte.tv
शहर व किठौर विधायक की नाराजगी की जहां तक बात है तो मेरठ महापौर के लिये शहर विधायक रफीक अंसारी भी अपनी धर्मपत्नी के लिये टिकट के दावेदार थे। वह बराबर टिकट पाने के लिये लखनऊ की परिक्रमा भी लगा रहे थे। ऐन वक्त पर कुछ ऐसा हुआ कि यह टिकट सरधना से हाल ही में सपा के टिकट पर चुनाव जीते अतुल प्रधान की धर्मपत्नी सीमा प्रधान को दे दिया गया। अतुल प्रधान ने इन दोनों मुस्लिम विधायकों का छत्तीस का आंकड़ा पहले से ही है। टिकट कटना फिर अपने चिरप्रतिद्धंदी अतुल की धर्मपत्नी को मिल जाना किसी भी दशा में रफीक अंसारी के लिये स्वीकार्य नहीं रहा। इसलिये वह पहले ही दिन से बराबर चुनाव प्रचार से दूरी बनाये हुए हैं।
(अखिलेश यादव का रोड शो FirstByte.tv 👇)
जहां तक बात किठौर विधायक शाहिद मंजूर की है तो यहां भी कमोवेश ऐसा ही समीकरण है। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में शाहिद मंजूर अपने बेटे नवाजिश के लिये दिन रात एक किये हुए थे, लेकिन अंतिम समय में राजनीतिक ऊंट ने कुछ ऐसी करवट ली कि सीमा प्रधान सपा के टिकट पर पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज हो गई। अतुल ने नवाजिश का खुलकर विरोध किया था।
हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा के सामने भी इस गुटबाजी पर खुलकर सवाल किये गये। अतुल प्रधान व सीमा प्रधान विरोधी इस गुट का एक पात्र राजपाल सिंह भी हैं। हाल ही में राजपाल सिंह के स्थान पर जयवीर सिंह को पार्टी का जिलाध्यक्ष बना दिया गया। इस तरह इस गुट के लिये यह कोढ़ में खाज की स्थिति सरीखी हो गयी।
आज मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में अखिलेश यादव के रोड शो में भी यह गुट नदारद ही रहा। शाहिद मंजूर व रफीक अंसारी हवाई पट्टी पर भी नजर नहीं आये। इसके अलावा पार्टी कार्यालय से अखिलेश यादव के रोड शो का आज जो लेटर जारी किया गया उसमें भी शाहिद मंजूर का नाम न होना कहीं न कहीं राजनीतिक संकेत देने के लिये काफी है। मेरठ के इस कार्यक्रम में अलीगढ़ के पूर्व विधायक वीरेश यादव का नाम तो शामिल है लेकिन मेरठ किठौर के विधायक शाहिद मंजूर का नहीं।
दो बड़े विधानसभा क्षेत्रों में सपा मुखियाओं (रफीक व शाहिद मंजूर) की यह तल्खी सीमा प्रधान के रास्ते में रोड़ा बनती नजर आ रही है। अब यह अतुल प्रधान पर निर्भर करेगा कि वह अपनी नैया कैसे पार लगाते हैं। हालांकि माना जा रहा है कि इस नाराजगी को दूर करने के लिये ही समय न होते हुए भी अखिलेश यादव शहर विधायक रफीक अंसारी के घर गये। कुछ देर रूकने के बाद वह हवाई मार्ग से लखनऊ रवाना हो गये।
इस बीच, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी का निकाय चुनाव में अखिलेश यादव का साथ न देना भी प्रदेश की भावी राजनीति की ओर इशारा करने के लिये काफी है। भाजपा से जुड़े सूत्र तो इसे लेकर भी तमाम दावे कर रहे हैं, हालांकि इस बारे में अभी कुछ कहना बेहद जल्दबाजी भरा होगा।
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