इसरो ने अब बढ़ाया सूर्य की ओर बेबाक कदम
यह विशुद्ध रूप से अकल्पनीय है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब सॅाफ्ट लैंडिंग के दसवें ही दिन इसरों ने आदित्य एल 1 मिशन लांच कर दिया। शनिवार की सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आदित्य L1 को लॉन्च किया गया। PSLV चार स्टेज वाला रॉकेट है।
इस मिशन के तहत आदित्य एल 1 125 दिन में 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर तीन जनवरी 2024 को अपने निर्धारित स्थल पर पहुंचेगा। आदित्य L1 को रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ेगा। आदित्य स्पेसक्राफ्ट करीब 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है। इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।
आइये आपको बताते हैं कि लैंगरेंज पॅाइंट-1 (L1) के बारे में। दरअसल लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है। यानी इस जगह पर यदि किसी वस्तु को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है।
इसरो के मुताबिक आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। यह सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट के चारों ओर की कक्षा, फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर के अलावा सबसे बाहरी परत कोरोना की अलग-अलग वेब बैंड्स से 7 इक्विपमेंट्स के जरिए टेस्टिंग करेगा।