नोटबंदी के पांच साल पूरे, दावों पर हकीकत भारी पड़ी
BREAKING Exclusive Firstbyte update राष्ट्रीय

नोटबंदी के पांच साल पूरे, दावों पर हकीकत भारी पड़ी

Nov 8, 2021
Spread the love

  • नोटबंदी के दौरान देश में रहा अफरातफरी का माहौल
  • अपने पैसों के लिये नागरिकों को तरसना पड़ा
  • बैंकों के बाहर लगी लाइन में खाये पुलिस के डंडे
  • नोटो का चलन भी इन दौरान बढ़ गया
  • डिजिटल करेंसी के चलन में भी हुआ इजाफा

देश में नोटबंदी को आज पांच साल पूरे हो गये। बीते 8 नवम्बर 2016 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान कर पांच सौ व एक हजार के नोट को चलन से बाहर कर दिया था। यह नोट बंदी काले धन को बाहर लाने, आतंकवाद पर चोट करने व बाद में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के नाम पर की गई थी। आज पांच साल बाद अगर किये गये दावों की समीक्षा की जाये तो हालात व दावों में जमीन आसमान का अंतर स्पष्ट नजर आता है। हालात यह है कि नोटबंदी के बाद देश में करेंसी नोटी का चलन रूकने की बजाय तेजी से कई गुना बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि इस दौरान डिजिटल पेमेंट के चलन में भी इजाफा हुआ है। काला धन रखने के मामले में एक हजार रुपये की तुलना में दो हजार के नोट रखना ज्यादा सहूलियत भरा साबित हुआ है।

पीएम मोदी द्वारा की गई नोटबंदी के बाद देश में अफरातफरी के हालात पैदा हो गये थे। बैंकों के बाहर अपने ही पैसे निकालने के लिये लोगों को न सिर्फ लाइन में लगना पड़ा था बल्कि पुलिस के डंडे भी खाने पड़े हैं। कई लोगों की लाइन में लगने से मौत के मामले में भी सामने आये। राजनीतिक रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी लाइन में खड़े नजर आये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां भी लाइन में खड़ी हुईं। आम लोगों को तो खैर निर्धारित सीमा में अपने पैसों के लिये तो जूझना पड़ा ही। लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों में लंबी लाइनों में लगना पड़ा। कहा गया कि इससे काला धन खत्म होगा और नकदी का चलन कम होगा।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को देश में चलन में रहने वाले कुल नोटों का मूल्य 17.74 लाख करोड़ रुपये था. लेकिन यह बढ़ते हुए इस साल (2021) 29 अक्टूबर को  29.17 लाख करोड़ रुपये हो गया। यानी नोटबंदी के बाद से अब तक वैल्यू के लिहाज से नोट के सर्कुलेशन में करीब 64 फीसदी की बढ़त हुई है। पिछले एक साल में तुलना करें तो 30 अक्टूबर 2020 को सर्कुलेशन में रहने वाले नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था। यानी कोरोना काल में पिछले एक साल में नोटों का सर्कुलेशन करीब 8.5 फीसदी बढ़ गया। 

31 मार्च 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में सर्कुलेशन में रहने वाले कुल बैंक नोट के वैल्यू का 85.7 फीसदी हिस्सा 500 रुपये और 2,000 रुपये के बैंक नोट का है. हालांकि यह भी सच है कि 2019-20 और  2020-21 के दौरान 2,000 के नए नोट नहीं छापे गए हैं। खासकर पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में करेंसी नोटों का सर्कुलेशन काफी बढ़ा है. इसकी वजह यह है कि कोविड संकट के दौरान बहुत से लोगों ने सचेत रहते हुए काफी नकदी निकाली ताकि आगे किसी तरह की परेशानी न हो।

डिजिटल ट्रांजैक्शन भी बढ़ा 

एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में भी बढ़त हुई है. क्रेडिट-डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सभी तरीकों सेडिजिटल पेमेंट बढ़ा है. UPI की शुरुआत भी साल 2016 में हुई थी. अक्टूबर 2021 में इससे करीब 7.71  लाख करोड़ रुपये मूल्य का लेनदेन हुआ. इस महीने संख्या में देखें तो कुल 421 करोड़ लेन-देन हुए. 

नोटबंदी से तत्काल असर पड़ा था 

नोटबंदी से तात्कालिक रूप से नकदी में कमी जरूर आई थी. 4 नवंबर, 2016 को देश में करेंसी नोटों का सर्कुलेशन 17.97 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर था. नोटबंदी के बाद 25 नवंबर, 2016 को यह 9.11 लाख करोड़ रुपये रह गया. नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट वापस लेने के बाद लोगों के पास करेंसी, जो 4 नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये थी, जनवरी 2017 में घटकर 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गई.

सिस्टम में वापस आया पैसा 

रिजर्व बैंक की अपनी साल 2018 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि नोटबंदी के बाद करीब 99 फीसदी करेंसी सिस्टम में वापस आ गई. यही नहीं, प्रॉपर्टी जैसे कई सेक्टर में भी कैश का लेन-देन कम नहीं हुआ है. रिजर्व बैंक द्वारा दिसंबर 2018 और जनवरी 2019 में छह शहरों के बीच किए गए एक पायलट सर्वे में पता चला कि नियमित खर्चों के लिए लोग लेन-देन में कै

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *