गृह राज्यमंत्री पुत्र आशीष अब फिर जायेगा जेल, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की जमानत
- डिप्टी चीफ का विरोध करने एकत्रित हुए थे किसान
- पीछे से थार चढ़ा देने से चार किसानों की हो गई थी मौत
- एसआईटी जांच में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा पाया गया
- हाईकोर्ट ने हाल ही में दे दी थी जमानत
- जमानत के बाद आशीष ने ताकत दिखाने को लगाई थी जन अदालत
गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का हत्यारोपी बेटा आशीष मिश्रा जमानत पर रिहा हुआ तो उसने जनता की समस्याओं का समाधान करते हुए जन अदालत लगा दी। कुछ इस तरह कि वह भले ही जमानत पर किसानों की हत्या के लगे आरोपों में बाहर आया हो लेकिन अभी भी इतना दम खम है कि दूसरों की समस्याओं को दूर कर सके। याचिकाकर्ताओं की शिकायत व गवाहों की जान को खतरा बताये जाने को बेहद गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करते हुए एक सप्ताह में सरेंडर करने के हुकम दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस फरवरी को आशीष को जमानत दी थी।
दरअसल, बीते 3 अक्तूबर को यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा थी। किसान आंदोलन उस वक्त चरम पर था और किसान डिप्टी चीफ का विरोध करने के लिये तिकुनिया गांव में एकत्रित हुए थे। तभी पीछे से तेज गति से आई एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था। इसके घटना की प्रतिक्रिया में किसानों ने भाजपा के चार कार्यकर्ताओं की पीट पीट कर हत्या कर दी थी। किसानों की तरफ से आरोप लगाया गया कि घटना के वक्त एसयूवी को गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष चला रहा था। हालांकि अजय मिश्रा ने इसका पुरजोर खंडन किया था। इतना ही नहीं उस वक्त आशीष की लोकेशन भी घटनास्थल से दूर बतायी थी। एसआईटी ने तीन माह में सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 लोगों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने आज आशीष की जमानत रद्द कर दी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी जिसमें लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘अप्रासंगिक’ विवरण पर भरोसा किया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट के साथ-साथ चार्जशीट को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने यह कहते हुए जमानत रद्द करने की मांग की थी कि आरोप गंभीर हैं और गवाहों को जान को खतरा है। वहीं आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।