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तीनों निगमों का विलय, अब कहलायेगा दिल्ली नगर निगम

Apr 19, 2022
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  • दिल्ली नगर निगम का प्रशासक नौकरशाह ही होगा
  • अब 80 हजार की आबादी पर बनेंगे वार्ड, एकीकरण के बाद रह जाएंगे 250
  • लोकसभा व राज्यसभा में हो चुका है प्रस्ताव पारित
  • नगर निगम विधेयक पर महामहिम ने लगाई मोहर

राष्ट्रपति की मोहर लगने के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगम यानी पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी एक हो चुके हैं और इन्हें संयुक्त रूप से दिल्ली नगर निगम कहा जाएगा। इस क्रम में भारत सरकार ने दिल्ली नगर निगम (संशोधन) कानून, 2022 को अधिसूचित कर दिया है। लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद नगर निगम विधेयक पर राष्ट्रपति ने भी हस्ताक्षर कर दिए। उनके हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक कानून में बदल गया। भारत सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।

इस नयी व्यवस्था के तहत दिल्ली नगर निगम के चुनाव जब तक नहीं होते, उसकी कमान राजनीतिज्ञ की बजाय नौकरशाह के हाथ में होगी। अब भारत सरकार दिल्ली नगर निगम के लिए एक विशेष अफसर की नियुक्ति करेगी जो निगम के सभी कार्यों का निर्वहन करने के लिए उत्तरदायी होगा। तीनों नगर निगमों का विलय होने के बाद अस्तित्व में आने वाले दिल्ली नगर निगम में करीब 80 हजार की आबादी पर एक वार्ड होगा। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली नगर निगम अधिनियम संशोधन विधेयक पारित करने के दौरान संकेत भी दिए थे।

दरअसल, पांच साल पहले तीनों नगर निगमों के 272 वार्ड बनाने के दौरान करीब 50 हजार की आबादी शामिल की गई थी। केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम में संशोधन विधेयक में वार्डों की संख्या 272 से कम करके अधिकतम 250 की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली नगर निगम में अधिकतम 250 वार्ड बनाने की मंशा से पर्दा उठाते हुए खुलासा किया था कि वर्तमान समय में दिल्ली में करीब दो करोड़ आबादी है और उसे 250 वार्डों में बांटा जाएगा। लिहाजा एक वार्ड में 80 हजार आबादी शामिल की जाएगी। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वार्डों का परिसीमन वर्ष 2021 की जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा, क्योंकि वर्ष 2011 की जनगणना के तहत वार्डों का गठन 80-80 आबादी शामिल करके नहीं हो सकता।

उधर 80 हजार आबादी पर एक वार्ड का गठन करने की दिशा में 48 विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या कम होने का अनुमान है। दिल्ली की वर्तमान जनसंख्या की अपुष्ट रिपोर्ट के अनुसार 48 विधानसभा क्षेत्रों में एक से लेकर दो वार्ड कम हो जाएंगे, जबकि एक भी विधानसभा क्षेत्र में वार्डों की संख्या में इजाफा नहीं होगा। इसके अलावा 20 विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होने  की संभावना है।

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