- मंत्री दिनेश खटीक की दोनों बहनों को टिकट
- परिवार व वंशवाद की राह पर चली भाजपा
- सहारनपुर में तमाम पदाधिकारियों का इस्तीफा
- शास्त्रीनगर में वीरेंद्र शर्मा उर्फ बिल्लू को दिया टिकट
- भूमि कब्जाने व आगजनी का अभियुक्त है वीरेंद्र शर्मा
- वार्ड 53 में भी बगावत के आसार, चुनाव हराने का निर्णय
नगर निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी का टिकट पाने की दौड़ में वह टिकट पाकर जीत गया जिसके हाथ में लाठी थी। कोई नियम कोई कायदा कानून नहीं..बस जिसकी चली वह पदाधिकारी अपने परिवार या चाहने वालों को टिकट दिलाने में कामयाब हो गया। परिवारवाद को लेकर कांग्रेस के खिलाफ कुल कर बोलने वाली भाजपा के पदाधिकारियों ने अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को दे..की कहावत को चरितार्थ कर दिया। राज्यमंत्री दिनेश खटीक अपनी दोनों बहनों को टिकट दिलाने में कामयाब हो गये। यह बात लंबे समय से पार्टी की सेवा में लगे हुए लोगों को रास नहीं आ रही है। ऐसा ही सहारनपुर में हुआ तो भाजपा की नगर कार्यकारिणी ने इस्तीफा दे दिया। वहीं मेरठ में आगजनी व भूमि कब्जाने के विवाद में कई माह जेल में रहे वीरेंद्र शर्मा को भी टिकट दे दिया गया। यह टिकट दूसरे वार्ड से दिया गया क्योंकि वीरेंद्र के वार्ड से भावना शर्मा को टिकट दिया जाना था। भावना शर्मा राज्य उर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर के करीबी बताई जाती हैं। कुल मिलाकर नौ सामान्य सीट पर मेरठ में आरक्षित कोटे के लोगों को उतारा जाना भी सामान्य वर्ग के लोगों को नागवार गुजर रहा है।
इस बीच, सहारनपुर से यह बड़ी खबर आ रही है कि टिकट बंटवारे में रेवड़ी बांटने की प्रथा चलाने के विरोध में भाजपा की नगर कार्यकारिणी ने इस्तीफा दे दिया है। इसमें नगर अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष भी शामिल हैं। इसके अलावा आठ पूर्व सभासद, बूथ अध्यक्ष ने भी इस्तीफा दिया है। शक्ति केंद्रों के संयोजकों ने भी सामूहिक इस्तीफा भेजा है। दरअसल,राज्यमंत्री दिनेश खटीक की दोनों बहनों को टिकट दे दिया गया है। दिनेश खटीक की एक बहन वर्षा मोघा सहारनपुर के सरसावा से भाजपा के टिकट पर चेयरमैन का चुनाव लड़ रही हैं तो दूसरी बहन सुधा देवी मेरठ की हस्तिनापुर सीट से चेयरमैन की प्रत्याशी हैं। भाजपाइयों का कहना है कि दोनों की तुलना में कई जिताऊ प्रत्याशी दावेदारी की लाइन में थे लेकिन सभी को नजरअंदाज कर दिया गया। जो संगठन हित में नहीं हैं।
बताया जा रहा है कि सुधा देवी को हस्तिनापुर चेयरमैन सीट से टिकट दिलाने की तैयारी पिछले 2 साल से चल रही थी। वह पहली बार चुनाव मैदान में हैं। सुधा देवी का परिवार गाजियाबाद में रहता है लेकिन कुछ वक्त पहले ही परिवार ने हस्तिनापुर सिविल लाइंस में एक मकान खरीद लिया। इससे प्रत्याशी मेरठ निवासी हो सकें। मंत्री के बहनोई प्रवीन कुमार बिजली विभाग में एसडीओ हैं।
सरसावा से दिनेश खटीक की दूसरी बहन वर्षा मोघा चुनाव मैदान में पहली बार हैं। वर्षा के पति विजेंद्र मोघा पिछली बार इसी सीट से चेयरमैन रहे हैं। इस बार बहनोई की जगह राज्यमंत्री ने बहन को टिकट दिला दिया है। राज्यमंत्री दिनेश खटीक के भाई नितिन और एक बहन आर्या कटारिया पूर्व में जिला पंचायत सदस्य भी रहे हैं। पिछली बार विजेंद्र मोघा को टिकट दिया और इस बार भाजपा ने उनकी पत्नी वर्षा मोघा को टिकट दे दिया है।
आज पूर्व विधायक गोपाल काली ने सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करते हुए पूछा है कि क्या कोई इन्हें यानी सुधा रानी को जानता है। कमेंट में लोगों ने इससे इनकार किया है। वहीं भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने शास्त्रीनगर के विवादास्पद वीरेंद्र शर्मा उर्फ बिल्लू को भी शास्त्रीनगर मेरठ के एलटू से प्रत्याशी बनाया गया है जबकि उनके वार्ड स्कीम नंबर सात से भावना शर्मा को चुनाव मैदान में भाजपा ने उतारा है। वीरेद्र शर्मा उर्फ बिल्लू नई सड़क पर जमीन कब्जाने और आगजनी करने के आरोप में कई माह जेल बिताने के बाद बाहर आया है। सम्राट स्वीटर्स वालों से यह विवाद अभी भी चल रहा है। निर्दलीय प्रत्याशी होने पर बिल्लू भावना शर्मा के लिये परेशानी खड़ा कर सकता था लिहाजा उसे दूसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया।
वार्ड 53 में संजीव पुंडीर को टिकट न देने पर भाजपा में बगावत के हालात पैदा हो गये हैं। यहां संजीव पुंडीर को चुनाव लड़ाने का फैसला लिया गया। रात में ही बड़ी संख्या में लोग पार्क में एकत्रित हो गये थे। सभी ने एकजुट होकर कहा कि नई प्रत्याशी कौन है, किसी को नहीं पता। यहां पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ वोट करने का फैसला लिया गया है।
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