मणिपुर में लगातार हिंसा के बीच बीरेन सरकार को झटका,केपीए ने लिया समर्थन वापस
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मणिपुर में लगातार हिंसा के बीच बीरेन सरकार को झटका,केपीए ने लिया समर्थन वापस

Aug 6, 2023
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मणिपुर में पिछले नब्बे दिन से लगातार चली आ रही हिंसा के बीच एनडीए की सहयोगी पार्टी कुकी पीपुल्स अलायंस ने राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि केपीए के राज्य में दो ही विधायक हैं और इसका सीधा असर एन बीरेन सिंह की सरकार के बहुमत पर पड़ने वाला नहीं हैं। साठ सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 32 विधायक हैं जबकि एनपीएफ के पांच व तीन निर्दलीय विधायकों का उन्हें समर्थन प्राप्त है।

बता दें कि मणिपुर में कुकी व मैतेई समुदाय के बीच चली आ रही हिंसा को 90 दिन हो गये हैं। गंभीर बात यह है कि तीन अगस्त को भीड़ ने सेना के हथियार लूट लिये थे। भीड़ ने मोइरंग और नारानसेना थाने पर हमला कर 685 हथियार व बीस हजार से ज्यादा कारतूस लूट लिये हैं। लूटे गए हथियारों में AK-47, इंसास राइफल्स, हैंड गन, मोर्टार, कार्बाइन, हैंडग्रेनेड और बम शामिल हैं। इस घटना के बाद हरकत में आई केंद्र सरकार ने सेंट्रल फोर्स की 10 और कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया है। CRPF की 5, BSF की 3, ITBP और SSB की एक-एक अतिरिक्त कंपनी तैनात करने का आदेश जारी किया गया।

इन हथियारों की बरामदगी के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। पहाड़ी व घाटी इलाकों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।अब तक पहाड़ी जिलों से 138 हथियार और 121 गोला-बारूद जबकि घाटी के जिलों से 1057 हथियार और 14,201 गोला-बारूद बरामद हुए हैं।

अब बात करते हैं विवाद की। दरअसल, मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं जबकि नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं और ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बाहुल्य ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। मैतेई समुदाय मांग कर रहा है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई है। समुदाय की दलील है कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

वहीं मैतेई जनजाति का कहना है कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

जहां तक बात सियासी समीकरण की है तो मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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