किसानों व सरकार की वार्ता विफल, बैठक बैठक का खेल जारी
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किसानों व सरकार की वार्ता विफल, बैठक बैठक का खेल जारी

Jan 15, 2021
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों को लेकर किसानों व केंद्र सरकार के बीच गतिरोध जारी है। आज नौवें दौर की बैठक जरूर हुई लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी मांग से पीछे हटने वाले नहीं हैं। बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि  किसान कानून रद्द करने की मांग पर कायम हैं। उनके दो ही बिंदु हैं, कृषि के 3 कानून वापस हो और एमएसपी पर बात हो। टिकैत का यह भी कहना है कि वह सिर्फ और सिर्फ सरकार से बात करेंगे, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायी गयी कमेटी के समक्ष वे नहीं जायेंगे।

बैठक के बाद कृषि मंत्री यह बोले
बैठक से बाहर आने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान यूनियन के साथ नौवें दौर की वार्ता में  तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई। अब यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से इन बिंदुओं पर चर्चा होगी। उन्होने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रति हम सभी की प्रतिबद्धता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भारत सरकार स्वागत करती है। सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है जब वो कमेटी भारत सरकार को बुलाएगी तब हम उस कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है वो भी समाधान ढूंढने के लिए है।

राहुल गांधी पर नरेंद्र सिंह तोमर का निशाना
इस दौरान राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान और कृत्य पर कांग्रेस पार्टी सिर्फ हंसती है और उनका मजाक उड़ाती है। कांग्रेस ने 2019 के घोषणापत्र में इन कृषि सुधारों का वादा लिखित में किया था, अगर उन्हें याद नहीं है तो घोषणापत्र उठाकर दोबारा पढ़ लें।

कानूनों के अमल पर कोर्ट लगा चुकी है रोक
बता दें कि गत 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी। अदालत ने चार सदस्यों की कमेटी गठित की थी। इसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष अनिल घनवट, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं। भूपिन्दर सिंह मान ने गुरुवार को कमेटी से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के भी तमाम निहतार्थ निकाले जा रहे हैं।

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