इंसानियत फिर शर्मसार-महोबा में शव को कूड़े की गाड़ी में डाल कर ले जाया गया
पुलिस का अमानवीय चेहरा आया सामने
कूड़ा गाड़ी मंगा कर शव भेजा गया
आवारा जानवर की तरफ फेंक रहे थे गाड़ी में शव को
कैमरा देखा तो शव पर थोड़ा रहम आ गया
महोबा। कोरोना ने जैसे सिस्टम व रिश्तों, संवेदना और मानवीयता को आइना दिखा दिया है। कहीं गंगा व यमुना में शव बहाये जा रहे हैं और उन्हें आवारा जानवर नोच रहे हैं। एक नई परम्परा बनाते हुए गंगा किनारे शव दफना दिये गये, सवाल उठे तो हिंदुओं की कब्र पर पड़ी चुनरी तक खींच ली गई। मैं हू रवि शर्मा और आप देख रहे हैं फर्स्ट बाइट टीवी।
अब यूपी के महोबा से जो घटना सामने आ रही हैं उसने एक बार फिर से संपूर्ण सिस्टम की नाकामी, गैर जिम्मेदाराना व्यवहार और बेशर्मी की परिकाष्ठा को सामने लाकर पटक दिया है। यहां एक शव को पोस्टमार्टम हाउस तक और पोस्टमार्टम हाउस से श्मशान घाट तक कूड़ा उठाने वाली गाड़ी में ढोया गया। इस शव को कूड़ा गाड़ी में आवारा जानवर की तरफ उठा कर फेंका जा रहा था लेकिन कैमरा देख पुलिस को शव पर थोड़ा रहम आ गया और उसे फिर फेंकने की बजाय रखा गया।
जिस व्यक्ति के शव की यह दुर्दशा की गयी उसकी पहचान महोबा के कस्बा खरेला के मोहल्ला स्वामीदास निवासी रामकरन कुश्वाहा है। शुक्रवार को अधिक खांसी होने पर उन्हें उनका बेटा जिला अस्पताल भर्ती कराया जहां उनका निधन हो गया। सूचना पुलिस को दी तो वह पंचनामा भरने व शव को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाने के लिये पहुंच गयी। पुलिस ने परिजनों से संपर्क किया तो उन्होंने शव लेने से इंकार कर दिया। इस पर पुलिस ने नगर पंचायत खरेला की कचरा गाड़ी में शव डाल कर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा दिया। उसी गाड़ी से शव लाकर नगर पंचायत के सहयोग से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस घटना ने एक बार फिर से मानवता व इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। फिलहाल इस घटना की जांच के आदेश पुलिस प्रशासन द्वारा दिये गये हैं।
यूपी सरकार ने फिलहाल लाकडाउन में छूट देने का निर्णय लिया है। यह छूट केवल उन जिलों पर लागू होगी जहां एक्टिव केस की संख्या छह सौ से कम है। मेरठ, लखनऊ समेत बीस जिलों में एक्टिव केसों की संख्या अधिक होने के कारण अभी कोई छूट नहीं दी गई है। लिहाजा घर पर रहें और सेफ रहें…देखते रहिये फर्स्ट बाइट टीवी….नमस्कार