काबुल एयरपोर्ट पर लगातार फायरिंग, पांच लोगों की मौत का दावा
बीस बरस के अमेरिकी जंग के बाद भी हालात बद से बदत्तर
एयरपोर्ट पर किसी भी तरह जहाज में सवार होने में लगे नागरिक
हर कोई देश छोड़कर कहीं और बस जाना चाहता है
एक सप्ताह की अल्प अवधि में ही तालिबान हुआ काबिज
‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ होगा नया अफगानिस्तान
महिलाओं को चिंता, पूर्व शासन लागू न कर दे तालिबान
महिलाओं को कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं देता तालिबान
किसी युद्ध के लिये बीस साल कम नहीं होते लेकिन फिर से यदि हालात न सुधरे तो क्या कहा जायेगा…तालिबान ने बेहद अल्प समय में अफगानिस्तान पर कब्जा कर साबित कर दिया है कि अमेरिका द्वारा बीते 20 बरस में अफगानिस्तान में तालिबान को कुचलने के लिये जो प्रयास किये वह बेकार साबित हुए हैं। 15 अगस्त जब भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। तालिबान, अफगानिस्तान व अमेरिकी सेना के बीच पहले चली जंग और अब के ताजा हालात ऐसे हैं कि वहां भगदड़ जैसे हालात हैं। सबसे बड़ी चिंता वहां की महिलाओं व युवतियों की है। अफगानिस्तान के नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है, जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम दे दिया जायेगा। एयरपोर्ट पर समाचार लिखे जाने तक फायरिंग की आवाज सुनाई दे रही हैं, पांच लोगों की मौत का अभी तक दावा किया जा रहा है। एयरपोर्ट पर खड़े हवाई जहाजों पर नागरिक किसी भी तरह चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। मैं हू रवि शर्मा और आप देख रहे हैं फर्स्ट बाइट की खास रिपोर्ट
कुछ समय पहले ही यह अनुमान लगाया गया था कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने में कम से कम एक माह लग जायेगा लेकिन तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में ही पूरे अफगानिस्तान को अपने गिरफ्त में ले लिया। काबुल का तालिबान के नियंत्रण में आना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था।ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था। एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया।अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है। आपको याद दिला दे कि अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल तक तालिबान से जंग होती रही, इस पर अरबो डालर अमेरिका ने खर्च किये लेकिन अब अचानक से ही अमेरिका ने हाथ खड़े कर दिये, मौका पाकर तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। अमेरिका के इस अप्रत्याशित व्यवहार के कारण ही उस पर दुनिया की उंगलियां उठ रही हैं।