समाजवादी पार्टी की सरकार में लगभग हर तीसरे दिन होता था दंगा – CM योगी आदित्यनाथ ।।
- नौजवानों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया था – योगी
- योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश अराजकता, अव्यवस्था और गुंडागर्दी का शिकार हो गया
- कोरोना काल में 66 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए निवेश पाने में की सफलता प्राप्त
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने आरोप लगाया कि उनसे पहले समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार के समय राज्य में लगभग हर तीसरे दिन एक बड़ा दंगा होता था जिससे प्रदेश का विकास बाधित हुआ. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के साथ लखनऊ (Lucknow) में अनेक परियोजनाओं के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि आप याद करिए 14 सालों में इस प्रदेश को लोगों ने कहां पहुंचा दिया. राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद 2003 से प्रदेश हर क्षेत्र में अवनति की ओर गया और पिछड़ता गया. देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य देश की छठी अर्थव्यवस्था हो गया था. व्यापार सुगमता (इज ऑफ डूइंग बिजनेस) में 12वें और 14वें स्थान पर चला गया था । योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश अराजकता, अव्यवस्था और गुंडागर्दी का शिकार हो गया. प्रदेश के नौजवानों के सामने अपनी स्वयं की पहचान का संकट खड़ा हो गया. अखिलेश यादव नीत पूर्ववर्ती सपा सरकार पर हमला बोलते हुए योगी ने कहा, ”प्रदेश में 2012 से 2017 के बीच लगभग हर तीसरे दिन औसतन एक बड़ा दंगा होता था. दंगे में एक पक्ष का ही व्यक्ति नहीं मरता था, जन और धन की हानि दोनों ओर से होती थी लेकिन अंतत: यह जन और धन की हानि राष्ट्रीय क्षति होती थी और प्रदेश के विकास को बाधित करती थी ” । मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में जब दुनिया जब पूरी तरह पस्त थी तब प्रदेश ने 66 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए निवेश पाने में सफलता प्राप्त की. योगी ने कहा कि आज प्रदेश को छठी अर्थव्यवस्था से ऊपर ले जाकर देश में दूसरी अर्थव्यवस्था बना दिया गया और अब यह लंबी छलांग लगाने की ओर अग्रसर है. उन्होंने कहा कि प्रदेश देश की नंबर वन अर्थव्यवस्था बनकर प्रधानमंत्री के संकल्प को आगे बढ़ाएगा । यूपी के सीएम ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 1991 में राजनाथ सिंह ने प्रदेश का शिक्षा मंत्री बनने पर नकल विहीन परीक्षा करा कर नेतृत्व देने वाली युवा पीढ़ी खड़ी की लेकिन 2003 के बाद 2017 तक चाहे बोर्ड की परीक्षा रही हो या विश्वविद्यालय की, न सत्र नियमित था न परीक्षाओं में शुचिता पवित्रता का ध्यान रखा जाता था ।।